किराएदार के साथ रेंट एग्रीमेंट करना, पुलिस वेरिफिकेशन कराना क्यों जरूरी है? रेंट एग्रीमेंट न कराना कैसे कर सकता है आपको परेशान? जानने के लिए देखें जागते रहो-
मकान मालिक (Land Lord) घर किराए पर उठाते समय किराए के बारे में सोचते हैं. कानूनी बारीकियों पर उनका ध्यान नहीं जाता है खासकर किरायानामा यानी Rent Agreement पर. लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट (Leave and License Agreement) क्या है? रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) की जगह लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट (Leave and License Agreement) क्यों बनाना चाहिए? किराएदार की ओर से घर कब्जा करने की कोशिश में लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट कैसे मकान मालिक की मदद कर सकता है? जानें
किरायेदार और मकान मालिक के बीच एक समझौता होता है, जिसके लिए रेंट एग्रीमेंट बनाया जाता है
किरायेदार के साथ कुछ बातों पर पहले से ही चर्चा करने से और एग्रीमेंट में नियमों एवं शर्तों को शामिल करने से संभवित विवाद से दूर रहने में मदद मिलेगी.
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कुछ साइटों पर काम की गति धीमी हो गई है और कुछ ठेकेदारों ने अपनी टीमों को भंग भी कर दिया है.
सबसे पहले यह तय करें कि आप हर महीने कितना किराया (rent) चुकाएंगे. हर साल किराये (rent) में कितनी वृद्धि हो जाएगी.
Rent Agreement: किसी भी प्रॉपर्टी को किराए पर देने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. जिससे आपको आगे चलकर किसी तरह की कोई समस्या न हो.
आमतौर पर 11 महीने पर एग्रीमेंट (Rent agreement) का रिन्यू होता है. साथ ही, 1 साल बाद किराये में अमूमन 10 फीसदी बढ़ोतरी होती है.
अगर आप अपना घर किराये पर देते हैं तो आप इसके लिए Rent Agreement करते हैं. आपके पास इसे नोटराइज्ड या रजिस्टर्ड कराने का विकल्प होता है.
Update Aadhaar Address: UIDAI यह विकल्प मुहैया करता है. इसके तहत किराएदार के पास रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है